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साप्ताहिक राशिफल (26 जनवरी 2025 से 01 फरवरी 2025)

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साप्ताहिकं राशिफलम् (26 JAN 2025 - 01 FEB 2025) मेषराशिः –  मेष राशि वालों को इस सप्ताह के आरम्भ में मानसिक उद्वेग की स्थिति बनेगी जिसके कारण बन्धु बान्धवों के साथ कलह की सम्भावना रहेगी । उदर विकार की सम्भावना भी रहेगी । शारीरिक मानसिक थकान का अनुभव करेंगे ।  कार्य क्षेत्र में सक्रिय सहयोग रहेगा, जिससे अधिकारी गण प्रसन्न रहेंगे तथा ख्याति मिलेगी । सप्ताहान्त में मित्रों के साथ किसी सुखद आयोजन का आनन्द मिल सकता है ।  वृषराशिः –  किसी अपेक्षित कार्य में सफलता मिलेगी । सन्तान सुख मिलेगा । आकस्मिक रोग से पीडा सम्भव है । राजदण्ड के कारण अथवा चोर लुटेरों के कारण क्षति सम्भव है अतः इस सन्दर्भ में सावधान रहने की आवश्यकता है । बुद्धिमत्ता पूर्वक किये गये कार्य सफल होंगे । विरोधी परास्त होंगे । सप्ताहान्त में दाम्पत्य जीवन अच्छा रहेगा तथा प्रेम प्रसङ्ग मधुर होंगे ।  मिथुनराशिः –  मिथुन राशि वालों कों सप्ताह के आरम्भ में उत्तम भोजन का लाभ प्राप्त होगा, कदाचित् धनलाभ भी सम्भव है । दाम्पत्य जीवन सुखमय रहेगा । परन्तु पूरे ...

साप्ताहिक राशिफल (19 जनवरी से 25 जनवरी 2025)

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साप्ताहिक राशिफल (19 जनवरी से 25 जनवरी 2025) मेषराशिः 🐏 –  मेष राशि वालों को अभीष्ट परन्तु बहुत दिनों से विलम्बित कार्य में सफलता मिलेगी है । धनलाभ के योग बन रहे हैं, मुकदमे आदि में विजय होगी तथा  शत्रु कमजोर होंगे ।  पहले से चले आ रहे रोग से छुटकारा मिलेगा, फिर भी आहार विहार में सावधान रहना चाहिये । सप्ताह के अन्त में अकारण भय की स्थिति बन सकती है ।  कार्य में अकारण विघ्न के निवारण हेतु भगवान् गणपति को दूर्वा चढाना चाहिये, गणेश जी को मोदक का भोग लगायें । किसी पुराने सुहृत् का दर्शन या योग-क्षेम सम्बन्धिनी चर्चा हो सकती है ।  जन्मकुंडली बनवाने अथवा व्यक्तिगत फलादेश हेतु अपना विवरण भरें वृषराशिः 🐂 –  धनप्राप्ति सम्बन्धी प्रयासों में विघ्न आ सकता है, रोगकी भी सम्भावना बन सकती है ।  दैन्य की स्थिति बनेगी, व्यापार में मन्दी या नये कार्य में विघ्न की सम्भावना बनेगी । सप्ताहान्त में यात्रा तथा रुके हुए कार्य बनेंगे, उत्तम आहार की प्राप्ति हो सकती है । धन हानि की सम्भावना बनेगी तथा कार्यक्षेत्र में कार्य की अधिकता रहेगी ।...

जन्माङ्ग चक्र में विद्यमान ग्रहों के शुभफलों को बढाने एवम् अशुभफलों के निवारण हेतु कुछ सरल परन्तु आवश्यक उपाय -

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 सूर्य सम्बन्धी दोष के निवारण एवं उसके शुभफल की प्राप्ति हेतु – माता-पिता का नित्य अभिवादन करें एव उनका आशीर्वाद प्राप्त करें । प्रतिदिन सूर्यार्घ्यं दे । नित्य सूर्योदय कालीन सूर्यातप का सेवन (Sun bath) करें ।   चन्द्रमा सम्बन्धी दोष के निवारण एवं उसके शुभफल की प्राप्ति हेतु – रात में चन्द्रोदय के बाद एकघण्टा बाहर चन्द्रमा के प्रकाश का सेवन (चन्द्रिकासेवन) करें । प्रतिदिन गोदुग्ध का पान करें । धवलवस्तुओं का उपयोग करें । माता की आज्ञा का पालन करें ।   मङ्गल सम्बन्धी दोष के निवारण एवं उसके शुभफल की प्राप्ति हेतु – उष्णपदार्थो तथा शरीर में उष्णता उत्पन्न करने वाले पदार्थों का सेवन न करें । मधुर एवं घृतयुक्त पदार्थों का सेवन करें । लालमुह वाले बन्दरों अथवा लाल रंग के कुत्तों को मीठा भोजन खिलायें । अधिक रात्रि तक जागरण करने से बचें ।  बुध सम्बन्धी दोष के निवारण एवं उसके शुभफल की प्राप्ति हेतु – प्रातः सायं समयानुसारं हरी घास पर भ्रमण करें । घर पर भी पत्तियों वाले पौधे लगायें । एक गमले में दूब लगायें एवं प्रतिदिन गणेश जी को चढाये । विशेषयात्रा के समय गणेश...

कामदा एकादशी

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कामदा एकादशी व्रत - दिनांक 31 जुलाई दिन बुधवार को श्रावण कृष्ण पक्ष की कामदा नामक एकादशी का व्रत सभी के लिए होगा। एकादशी व्रत की पारणा 1 अगस्त गुरुवार को प्रातः  किया जायेगा। 👉 एकादशी के दिन सभी को व्रत अवश्य रखना चाहिए और यदि व्रत न रहे तो कम से कम भोजन में चावल का सेवन बिलकुल भी नहीं करना चाहिए। 🌞🌞 आपको सपरिवार कामदा एकादशी व्रत की हार्दिक शुभकामनाएं । भगवान विष्णू आपकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण करें । आपका जीवन मंगलमय हो । 💐💐💐💐💐💐💐💐 दैवविमर्शकः - डा.उमाकान्ततिवारी  📞 7010938438 ----------------------------

लक्ष्म्यष्टकम्

लक्ष्म्यष्टकस्तोत्रम् नमस्तेऽस्तु महामाये श्रीपीठे सुरपूजिते। शङ्खचक्रगदाहस्ते महालक्ष्मि नमोऽस्तुते ते॥१ नमस्ते गरुड़ारूढ़े कोलासुरभयङ्करि। सर्वपापहरे देवि महालक्ष्मि नमोऽस्तुते॥२॥ सर्वज्ञे सर्ववरदे सर्वदुष्टभयञ्करि। सर्वदुःखहरे देवि महालक्ष्मि नमोऽस्तुते॥३॥ सिद्धिबुद्धिप्रदे देवि भुक्तिमुक्तिप्रदायिनि। मन्त्रमूर्ते सदा देवि महालक्ष्मि नमोऽस्तुते॥४॥ आद्यन्तरहिते देवि आद्यशक्ति महेश्वरि। योगजे योगसम्भूते महालक्ष्मि नमोऽस्तुते॥५॥ स्थूलसूक्ष्ममहारौद्रे महाशक्ति महोदरे। महापापहरे देवि महालक्ष्मि नमोऽस्तुते॥६॥ पद्मासनस्थिते देवि परब्रह्मस्वरूपिणि। परमेशि जगन्मातर्महालक्ष्मि नमोऽस्तुते॥७॥ श्वेताम्बरधरे देवि नानालङ्कारभूषिते। जगत्स्थिते जगन्मातर्महालक्ष्मि नमोऽस्तुते॥८॥ फलश्रुतिमहालक्ष्म्यष्टकस्तोत्रं यः पठेद् भक्तिमान्नरः। सर्व सिद्धिमवाप्नोति राज्यं प्राप्नोति सर्वदा॥९॥ एककाले पठेन्नित्यं महापापविनाशनम्। द्विकालं यः पठेन्नित्यं धनधान्यसमन्वितः॥१०॥ त्रिकालं यः पठेन्नित्यं महाशत्रुविनाशनम्। महालक्ष्मी भवेन्नित्यं प्रसन्ना वरदा शुभा॥११॥

ब्रह्मकर्म

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जगत्पूजा

अश्वत्थं रोचनां गां च पूजयेद् यो नरः सदा । पूजितं च जगत् तेन सदेवासुरमानुषम् ।। अर्थात् यः मनुष्यः अश्वत्थवृक्षस्य गोरोचनद्रव्यस्य‌ गोः च पूजनं / सेवां करोति सः एतेन कर्मणा एव  देव-असुर-मनुष्यसहितस्य समस्त संसारस्य पूजां करोति इति ।  भावार्थ - जो मनुष्य पीपल वृक्ष को लगाकर उसकी सेवा करता है, गोरचनद्रव्य का तिलक करता है, तथा गाय का पलन करते हुए उसकी पूजा/सेवा करता है, वह इन तीन कार्यों से ही समस्त संसार की पूजा कर लेता है। www.daivavimarshanam.in https://t.me/daiva_vamarshanam