जन्माङ्ग चक्र में विद्यमान ग्रहों के शुभफलों को बढाने एवम् अशुभफलों के निवारण हेतु कुछ सरल परन्तु आवश्यक उपाय -

 सूर्य सम्बन्धी दोष के निवारण एवं उसके शुभफल की प्राप्ति हेतु –

माता-पिता का नित्य अभिवादन करें एव उनका आशीर्वाद प्राप्त करें ।

प्रतिदिन सूर्यार्घ्यं दे ।

नित्य सूर्योदय कालीन सूर्यातप का सेवन (Sun bath) करें ।

 चन्द्रमा सम्बन्धी दोष के निवारण एवं उसके शुभफल की प्राप्ति हेतु –

रात में चन्द्रोदय के बाद एकघण्टा बाहर चन्द्रमा के प्रकाश का सेवन (चन्द्रिकासेवन) करें ।

प्रतिदिन गोदुग्ध का पान करें ।

धवलवस्तुओं का उपयोग करें ।

माता की आज्ञा का पालन करें ।

 मङ्गल सम्बन्धी दोष के निवारण एवं उसके शुभफल की प्राप्ति हेतु –

उष्णपदार्थो तथा शरीर में उष्णता उत्पन्न करने वाले पदार्थों का सेवन न करें । मधुर एवं घृतयुक्त पदार्थों का सेवन करें ।

लालमुह वाले बन्दरों अथवा लाल रंग के कुत्तों को मीठा भोजन खिलायें ।

अधिक रात्रि तक जागरण करने से बचें ।

 बुध सम्बन्धी दोष के निवारण एवं उसके शुभफल की प्राप्ति हेतु –

प्रातः सायं समयानुसारं हरी घास पर भ्रमण करें ।

घर पर भी पत्तियों वाले पौधे लगायें । एक गमले में दूब लगायें एवं प्रतिदिन गणेश जी को चढाये । विशेषयात्रा के समय गणेश जी से दूर्वा निवेदन करके पास रख लें ।

आफिस में तथा घर के उपवेशन कक्ष में गणेश जी की अथवा हाथी की मूर्ति रखें ।

 गुरु सम्बन्धी दोष के निवारण एवं उसके शुभफल की प्राप्ति हेतु –

अपने घर पर पीले फूल (कनेर, कर्णिकार इत्यादि) के पौधे अवश्य लगायें ।

अपने गुणों के स्वयं प्रकाशित न करें । गुरु जनों से विनम्रता पूर्वक व्यवहार रखें ।

मस्तक पर हल्दी या पीले चन्दन का तिलक लगायें । नाभि पर केसर लगायें ।

 शुक्र सम्बन्धी दोष के निवारण एवं उसके शुभफल की प्राप्ति हेतु –

महिलाओं का सम्मान करें । महिलाओ का अपमान कभी न करें ।

भोजन के पहला भाग गाय को खिलायें ।

मीठे दधि का सेवन करें । खट्टे एव चरपरे पदार्थों के सेवन से बचें ।

प्रातः कालीन शुक्र तारे का दर्शन करें । ब्रह्ममुहूर्त में जगने का प्रयास करें ।

 शनि सम्बन्धी दोष के निवारण एवं उसके शुभफल की प्राप्ति हेतु –

तैलाभ्यङ्ग अर्थात् शरीर में तैल मालिश अवश्य करें । न कर पाने स्थिति में शिर तथा पैर की मालिश एवं कान में तेलपूरण अवश्य करें । सोते समय नाभि में तेलपूरण करें ।

शनिवार को तेल का दान करें ।

शनिवार को शमीवृक्ष के नीचे दीपक जलायें ।

आहार के सेवन में सतर्कता बरतें । परन्तु भुखा न रहें, अनियमित आहारसेवन न करें ।

काले कुत्ते को भोजन खिलायें ।

 राहु सम्बन्धी दोष के निवारण एवं उसके शुभफल की प्राप्ति हेतु –

मछलियों एवं चीटियों को दाना खिलायॆ ।

रात में सिरहाने के नीचे यव के दाने रखकर सोयें, अवं प्रातः उन यवों को पक्षियों के लिये दे दें ।

पक्ष में एक बार गोमूत्र अथवा पञ्चगव्य का सेवन करें ।

 केतु सम्बन्धी दोष के निवारण एवं उसके शुभफल की प्राप्ति हेतु –

अपने भोजन का उच्छिष्ट विभिन्नवर्ण वाले अर्थात् चितकबरे कुत्तों को देना चाहिये ।

केसर का तिलक लगायें । 

जन्मकुंडली बनवाने अथवा व्यक्तिगत फलादेश हेतु अपना विवरण भरें।



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