संदेश

फ़रवरी, 2025 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

जन्मकुंडली बनवाने अथवा किसी भी समस्या के ज्योतिषीय परामर्श हेतु अपना विवरण भरें -

जन्मकुंडली बनवाने अथवा किसी भी समस्या के ज्योतिषीय परामर्श हेतु विवरण भरें

किस वस्तु से रुद्राभिषेक करने पर क्या फल मिलता है ?

चित्र
किस वस्तु से रुद्राभिषेक करने पर क्या फल मिलता है ? पौष्टिक कर्म - लक्ष्मी प्राप्ति के लिए - इक्षु रस अर्थात् गन्ने के रस से  धन में वृद्धि के लिए - मधु अथवा घृत से। आरोग्य वृद्धि हेतु - घी से  आयु वृद्धि हेतु - गोदुग्ध से शिवाभिषेक करना चाहिए। काम्य - मोक्ष की कामना हो तो - तीर्थोदक से  पुत्र प्राप्ति की कामना हो तो - दूध से अथवा शर्करायुक्त जल से  शत्रु नाश हेतु - सरसो के तेल से  पाप क्षय की कामना हो तो - मधु से  अन्य कोई मनोकामना पूर्ति हेतु - दूध से शिवाभिषेक करना चाहिए। शान्ति कर्म में शिवाभिषेक -  रोग की शान्ति के लिए - कुशोदक से  ज्वर के प्रकोप से शान्ति हेतु - जल से  यक्ष्मा रोग के शमन हेतु - मधु से  प्रमेह रोग की शान्ति हेतु - केवल दूध से  बुद्धि की जड़ता (हिताहित विवेक का अभाव) का नाश करने हेतु - शर्करा मिश्रित दूध से शिवाभिषेक करना चाहिए।

सज्जन कौन होता है?

चित्र
सज्जन कौन होता है -  पद्मपुराण में कहा गया है कि -  जो अपने कुल सम्मत परन्तु वेद सम्मत आचार विचार का पालन करने वाले हों । शास्त्रों में जिन्हें पाप कहा गया है, उन कार्यों के करने की सोचते भी न हों तो ऐसे व्यक्ति सज्जन कहलाते हैं। निजाचारग्राहिणो ये कुर्वन्ति वेदसम्मतम् । पापाभिलाषरहिताः सज्जनास्ते प्रकीर्त्तिताः ।।  विवाह हेतु कन्या के लिए सज्जन पुरुष (साजन) का वरण - पहले के समय विवाह संस्कार से पूर्व कन्या या कन्या के बन्धु जन ऐसे ही सज्जन एवं कुलीन वर पुरुष का वरण करते थे।  मेरी समझ से इसी कारण विवाह के लिए वृणीत पुरुष को साजन (जो सज्जन का ही विकृत रूप हुआ लगता है।) कहा गया।  आज के समय चकाचौंध से व्याकुल एवं सद्दृष्टि रहित कन्या या कन्या के बन्धु जन, कुलाचार एवं धर्माचरण से रहित व्यक्ति को ही साजन/सज्जन प्रदर्शित करने में लगे हैं।  अब बताइए जहां धर्म को ही सुख का मार्ग बताया गया है, वहां यदि धर्म रहित पुरुष / स्त्री के साथ रहकर सुख की कामना करना कितनी मुर्खतापूर्ण बात लगती है।  टिप्पनी - यहां कथित धर्म शब्द का अभिप्राय सम्प्रदाय नहीं है।...

शिवपञ्चाक्षर स्तोत्र

चित्र
नागेन्द्रहाराय त्रिलोचनाय  भस्माङ्गरागाय महेश्वराय  नित्याय शुद्धाय दिगम्बराय  तस्मै नकाराय नमः शिवाय।। मन्दाकिनीसलिलचन्दनचर्चिताय  नन्दीश्वरप्रमथनाथमहेश्वराय मन्दारपुष्पबहुपुष्पसुपूजिताय तस्मै मकाराय नमः शिवाय।। शिवाय गौरीवदनाब्जवृन्द- सूर्याय दक्षाध्वरनाशकाय । श्रीनीलकण्ठाय वृषध्वजाय  तस्मै शिकाराय नमः शिवाय।। वशिष्ठकुम्भोद्भवगौतमार्य- मुनीन्द्रदेवार्चितशेखराय  चन्द्रार्कवैश्वानरलोचनाय  तस्मै वकाराय नमः शिवाय।।  यक्षस्वरूपाय जटाधराय  पिनाकहस्ताय त्रिलोचनाय  दिव्याय देवाय दिगम्बराय  तस्मै यकाराय नमः शिवाय।। पञ्चाक्षरमिदं पुण्यं यः पठेत् शिवसन्निधौ । शिवलोकमवाप्नोति शिवेन सह मोदते ।।