संदेश

जन्माङ्ग चक्र में विद्यमान ग्रहों के शुभफलों को बढाने एवम् अशुभफलों के निवारण हेतु कुछ सरल परन्तु आवश्यक उपाय -

चित्र
 सूर्य सम्बन्धी दोष के निवारण एवं उसके शुभफल की प्राप्ति हेतु – माता-पिता का नित्य अभिवादन करें एव उनका आशीर्वाद प्राप्त करें । प्रतिदिन सूर्यार्घ्यं दे । नित्य सूर्योदय कालीन सूर्यातप का सेवन (Sun bath) करें ।   चन्द्रमा सम्बन्धी दोष के निवारण एवं उसके शुभफल की प्राप्ति हेतु – रात में चन्द्रोदय के बाद एकघण्टा बाहर चन्द्रमा के प्रकाश का सेवन (चन्द्रिकासेवन) करें । प्रतिदिन गोदुग्ध का पान करें । धवलवस्तुओं का उपयोग करें । माता की आज्ञा का पालन करें ।   मङ्गल सम्बन्धी दोष के निवारण एवं उसके शुभफल की प्राप्ति हेतु – उष्णपदार्थो तथा शरीर में उष्णता उत्पन्न करने वाले पदार्थों का सेवन न करें । मधुर एवं घृतयुक्त पदार्थों का सेवन करें । लालमुह वाले बन्दरों अथवा लाल रंग के कुत्तों को मीठा भोजन खिलायें । अधिक रात्रि तक जागरण करने से बचें ।  बुध सम्बन्धी दोष के निवारण एवं उसके शुभफल की प्राप्ति हेतु – प्रातः सायं समयानुसारं हरी घास पर भ्रमण करें । घर पर भी पत्तियों वाले पौधे लगायें । एक गमले में दूब लगायें एवं प्रतिदिन गणेश जी को चढाये । विशेषयात्रा के समय गणेश...

कामदा एकादशी

चित्र
कामदा एकादशी व्रत - दिनांक 31 जुलाई दिन बुधवार को श्रावण कृष्ण पक्ष की कामदा नामक एकादशी का व्रत सभी के लिए होगा। एकादशी व्रत की पारणा 1 अगस्त गुरुवार को प्रातः  किया जायेगा। 👉 एकादशी के दिन सभी को व्रत अवश्य रखना चाहिए और यदि व्रत न रहे तो कम से कम भोजन में चावल का सेवन बिलकुल भी नहीं करना चाहिए। 🌞🌞 आपको सपरिवार कामदा एकादशी व्रत की हार्दिक शुभकामनाएं । भगवान विष्णू आपकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण करें । आपका जीवन मंगलमय हो । 💐💐💐💐💐💐💐💐 दैवविमर्शकः - डा.उमाकान्ततिवारी  📞 7010938438 ----------------------------

लक्ष्म्यष्टकम्

लक्ष्म्यष्टकस्तोत्रम् नमस्तेऽस्तु महामाये श्रीपीठे सुरपूजिते। शङ्खचक्रगदाहस्ते महालक्ष्मि नमोऽस्तुते ते॥१ नमस्ते गरुड़ारूढ़े कोलासुरभयङ्करि। सर्वपापहरे देवि महालक्ष्मि नमोऽस्तुते॥२॥ सर्वज्ञे सर्ववरदे सर्वदुष्टभयञ्करि। सर्वदुःखहरे देवि महालक्ष्मि नमोऽस्तुते॥३॥ सिद्धिबुद्धिप्रदे देवि भुक्तिमुक्तिप्रदायिनि। मन्त्रमूर्ते सदा देवि महालक्ष्मि नमोऽस्तुते॥४॥ आद्यन्तरहिते देवि आद्यशक्ति महेश्वरि। योगजे योगसम्भूते महालक्ष्मि नमोऽस्तुते॥५॥ स्थूलसूक्ष्ममहारौद्रे महाशक्ति महोदरे। महापापहरे देवि महालक्ष्मि नमोऽस्तुते॥६॥ पद्मासनस्थिते देवि परब्रह्मस्वरूपिणि। परमेशि जगन्मातर्महालक्ष्मि नमोऽस्तुते॥७॥ श्वेताम्बरधरे देवि नानालङ्कारभूषिते। जगत्स्थिते जगन्मातर्महालक्ष्मि नमोऽस्तुते॥८॥ फलश्रुतिमहालक्ष्म्यष्टकस्तोत्रं यः पठेद् भक्तिमान्नरः। सर्व सिद्धिमवाप्नोति राज्यं प्राप्नोति सर्वदा॥९॥ एककाले पठेन्नित्यं महापापविनाशनम्। द्विकालं यः पठेन्नित्यं धनधान्यसमन्वितः॥१०॥ त्रिकालं यः पठेन्नित्यं महाशत्रुविनाशनम्। महालक्ष्मी भवेन्नित्यं प्रसन्ना वरदा शुभा॥११॥

ब्रह्मकर्म

चित्र

जगत्पूजा

अश्वत्थं रोचनां गां च पूजयेद् यो नरः सदा । पूजितं च जगत् तेन सदेवासुरमानुषम् ।। अर्थात् यः मनुष्यः अश्वत्थवृक्षस्य गोरोचनद्रव्यस्य‌ गोः च पूजनं / सेवां करोति सः एतेन कर्मणा एव  देव-असुर-मनुष्यसहितस्य समस्त संसारस्य पूजां करोति इति ।  भावार्थ - जो मनुष्य पीपल वृक्ष को लगाकर उसकी सेवा करता है, गोरचनद्रव्य का तिलक करता है, तथा गाय का पलन करते हुए उसकी पूजा/सेवा करता है, वह इन तीन कार्यों से ही समस्त संसार की पूजा कर लेता है। www.daivavimarshanam.in https://t.me/daiva_vamarshanam

अक्षय-तृतीया

यः पश्यति तृतीयायां कृष्णं चन्दनचर्च्चितम् । वैशाखस्य सिते पक्षे स यात्यच्युतमन्दिरम् ॥ (स्कन्दपुराणम्) वैशाख शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि जो अक्षयतृतीया के नाम से प्रसिद्ध है, उस दिन जो व्यक्ति भगवान् कृष्ण का दर्शन पूजन आदि करता है, वह व्यक्ति भगवान् विष्णु के परम धाम को प्राप्त करता है।